Saturday, June 4, 2011

फेसबुक पर इवेंट जय हिंदुत्व - जय भारत


जय श्रीराधे ! 
मित्रो , इवेंट जय हिंदुत्व-जय भारत पर रेसपोंस देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !
निश्चित ही इवेंट पेजेस पर हम सबकी सम्मिलित आवाज, सनातन धर्मं एवं संस्कृति का वरदायी सन्देश "सर्वे भवन्तु सुखिनः"  के द्वारा समस्त चराचर को सुख-शांति  प्रदत्त कर ,, परम मंगलकारी अभिलाषा "बसुधैव कुटुम्बम " के अंचल में ...विनाशकारी आतंकबाद,शत्रुता,राग-द्वेष,छल एवं दंभ को समूल नष्ट कर ..
जन-जन में भगवान श्रीकृष्ण कृपा स्वरुप -भारत सन्देश श्रीमद भगवदगीता को प्रचारित कर इस मातृस्वरुप 
परम कल्याणकारी वसुंधरा को सुशोभित करेगी  ! 
हमारी विश्वजई ध्वनि हुँकार  सत्य-सनातन  विरोधियों जिनकी मंशा-कुकृत्य भारत राष्ट्र-भारत धर्मं  को आघात देने की रहती है  ,के कलुषित हृदयों को विदीर्ण कर उन सबका मान-मर्दन कर इस धरा से वहिष्कृत करने में सक्षम  है ! अतः मित्रो , मुझे विश्वास है कि आप सब इवेंट पेजेस पर एक बार जयकारा घोष लगायेंगे-(कम से कम एक बार जय हिंदुत्व -जय भारत अवश्य लिख अपनी सम्मति प्रदान करेंगे )
मित्रो ,आप धर्म सेवा -राष्ट्र सेवा में प्रस्तुत सन्देश को कॉपी-पेष्ट कर अपने सभी मित्रों-परिचितों को पोस्ट करेंगे ...मैं "स्वीट राधिका राधे-राधे" आपको भरोसा देती हूँ कि यह कार्य-सेवा ( पोस्ट करना ) आपको  भगवान श्रीकृष्ण की अहैतुकी -अपरम्पार कृपा भक्ति प्रदान करेगा !! आप माँ भारती का वात्सल्य स्नेह प्राप्त कर सत्य की ओर आरुढ़ित होंगे !   
राधे-राधे श्याम 
जय सीताराम 
पार्वती पत्ये हर-हर महादेव !! 
जो बोले सो विजय-सनातन धर्मं की जय !! 
विश्व का कल्याण हो!! 
गौमाता की जय !!
अधर्म का नाश हो !!
पापियों का संहार हो !!  
मित्रो, आप भी निम्नांकित लिंक के द्वारा ..वरदाम-सुखदाम इवेंट जय हिंदुत्वा-जय भारत से जुड़कर अपने परिचित-मित्रों को इवेंट में भाग लेने को कह सकते हैं !
अंत में मेरी (स्वीट राधिका राधे-राधे  की )आप सबसे विनम्र निवेदन है कि  -परम कल्याण सोपान-भक्ति प्रदायी-मंगल मूर्ति-आनंद राशि -पाप नाशक -कलि ताप निवारक (इस इन्टरनेट रूपी घन -घोर कलियुग पर अनंत फलदायी ) आश्रित वांछा कल्पतरु श्रीहरि नाम सुधामृत का गान करते हुए न्यूनतम एक बार  हरिनाम महामंत्र अवश्य लिखें -सभी मित्रों को पोस्ट कर लिखने का आग्रह करें -

श्री प्रियालाल रस सेवी आदरणीय  भक्तजन -आइये 
श्री किशोरीजू-श्रीकृष्ण कांता -श्रीकृष्ण प्रिया- श्री ब्रषभानु दुलारी -श्री वृन्दावनेश्वरी -श्री राधिका जी के पावन-आह्लाद बर्षी-भक्त मन मधुकर मधुर पराग रस रूपी युगल चरणारविंदों  में प्राथना-चित्त समर्पित करते हुए -
गाते-गाते लिखें-
हरेकृष्ण-हरेकृष्ण कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे !
हरेराम-हरेराम राम-राम हरे-हरे !!
जय-जय श्री राधे श्याम !! 

Saturday, May 28, 2011

धर्म न दूसर सत्य समाना




धर्म न दूसर सत्य समाना 
और परोपकार भक्तों की रीती है यथा श्री मद रामचरितमानस के आधार पर  "निज परिताप द्रवहि नवनीता ! पर दुःख द्रवहि संत सुपनीता !!
संत जन "जो सहि दुःख पर छिद्र दुरावा " अतः परहित भाव के आगे भगवद भजन गौण नहीं है अपितु सभी भक्ति मार्गियों में सहज ही परोपकार होता है ! केवल परोपकार भी झंझटकारी है क्योंकि श्री मद भगवद गीता के अनुसार सभी शुभ-अशुभ कर्मों अर्थार्त पुन्य-पाप सभी का फल भोगना पड़ता है ! फल प्राप्ति हेतु पुनरपि जन्म लेना ही पड़ता है ! जबकि भक्त अपने सभी पुण्यों को श्री कृष्णार्पण कर निष्काम भाव से भगवद प्रीति में रत रहता है  ! और मित्रो संसार में केवल एक मात्र सनातन धर्म ही धर्म है ! शेष सब मिथ्या आडम्बर है ,, अन्य सभी कथित धर्म व्यक्तिवादी हैं वहां स्वर्ग सुख ही सर्वोपरी है !जबकि सनातन धारा ब्रह्म-वादी, भगवद प्रेम प्रदायी है यहाँ "स्वर्गहु लाभ अ;प सुख दाई है" ईश्वर से मिलन ही जहाँ सर्वोपरि सिद्धांत है ! सनातन धर्म मुक्ति कांक्षी है जबकि अन्यान्य भ्रम प्रदायी -बंधन कारक है  ! सनातन धर्म सत्य है और सत्य का कभी अभाव नहीं होता " नासते विध्यते भावो-ना भावो विध्यते सतः "  सनातन धर्म सृष्टि के पूर्व भी था ..सृष्टि के समय भी है तथा आगे सृष्टि के उपरांत भी रहेगा ... और मित्रो सत्य के अलावा कुछ और का असतित्व ही नहीं तो कोई और कैसे धर्म हो सकता है ! भगवान कृष्ण के अनुसार श्री मद भगवद गीता में वर्णित अन्य धर्म केवल वर्णाश्रम-देश-काल आधारित कर्म हैं ! यदि कोई अन्य किसी धर्म में विश्वास रखता है तो वह भगवद गीता के विरुद्ध है ! अतः अन अनुकरणीय है ! मेरा सुझाव है कि सर्व धर्म सम्मलेन के बजाय सनातन धर्म सम्मलेन कहना अधिक उचित है ! अतः कृपया हिंदुत्व-सनातन धर्म के महत्वा को समझें ! और रही बात अन्य सभी धर्मों के मिथ्या सिद्ध करने की तो मित्रो हिंदुत्व  के अलावा अन्य सभी छद्म धर्म पुनर्जन्म में विश्वास नहीं रखते और पुनर्जन्म स्रष्टि का अकाट्य सत्य है जिसे विज्ञानं भी समझने की कोशिश में है ! अतः अन्य सभी धर्मों को हम केवल एक ही धारणा पुनर्जन्म धारणा से झूंठ सिद्ध कर देते हैं ! जय-जय श्री राधेश्याम - जय सियाराम -हर-हर महादेव     
जो बोले सो  विजय  -सत्य सनातन धर्म   की जय

Monday, April 11, 2011

श्री रामजन्म नवमी की सभी भक्त-मित्रों को वधाई

»♥« राधे-राधे.»♥«

राधे-राधे  हरेकृष्ण 
सभी मित्रों को नव संवत्सर २०६८ के लिए परम आध्य-शक्ति माता जगदम्बा के ममत्व रस सिंचित-वरद आशीष-कृपा छत्र-छाया में श्री रामकृपा रत्न भरी शुभकामनायें ...
जय जगधात्री माँ-जय भक्त-वत्सल माँ-जय सत्य स्वरूपा माँ-जय-जय जगदम्बे माँ !!
तेरे कृपा-सहारे मात शिवा-मेरे जीवन संवत सिद्ध हुए ! 
मिले राम रतन तेरी पूजा से -हम सब हर्षे कृत्य-कृत्य हुए !! 
हे गिरिजा माँ-हे कालिका माँ-हे कात्यायनी माता मेरी !
हे दुर्गा माँ दुर्गति नाशिनी मैं निश्चिन्त शरण तेरी !!
तेरे आसरे माता आश लगी श्री सीताराम चरित वरनों मैं सही !
मिलें कृष्ण कन्हैया श्रीजी संग सुनूँ मुरली मधुर ब्रजवास यही !!
जय-जय सीता राम --श्री राम जन्म नवमी की सभी भक्त-मित्रों को वधाई हो राधे-राधे  
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी !
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी !!
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी !
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी !!
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता !
माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता !!
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता !
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता !!
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै !
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै !!
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै !
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै !!

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा !

कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा !!

सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा !

यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा !!

बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार !

निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार !!

जय-जय सीता राम --श्री राम जन्म नवमी की सभी भक्त-मित्रों को वधाई हो राधे-राधे हरेकृष्ण
जय-जय सीता राम --

Saturday, March 19, 2011

होली आई है कन्हाई आजा खेलें बजाएं ढप-बांसुरी


स्वीटी राधिका जी ,
वृन्दावनचन्द्र की केलि रहीं चित-चोर !!
आयो हुल्लड़ फाग को सखि खेलें नन्दकिशोर !
सब सखियन ने आज तो मिलि घेरे रससिरमोर ! 
छोडो नहिं यशुमतिलाल को याहे दीजो रंग में बोर !
श्री कीरतितनया श्री राधिका कीजै कृपा की कोर !
कबहु वीते नहिं यह भोर !!


स्वीट राधिका राधे-राधे अहम् त्वां चरणं प्रपन्ना 



Tuesday, March 1, 2011

महाशिव रात्रि - पार्थना



पार्वती पत्ये: हर-हर महादेव

साथियों, 
आइये हम सब मिलकर महाशिव रात्रि के पावन अवसर पर माता पार्वती एवं करुणावतार आशुतोष भगवान शंकर के चरण-कमलों में चित्त को समर्पित कर संकल्प लें-पार्थना करें -
हे विश्वनाथ ! हे जगत पितु-मातु ! हम मनसा-वाचा-कर्मणा अपनी मातृभूमि अपने सत्य-सनातन धर्मं की रक्षा-सेवा में तत्पर रहें एवं विधर्मियों-हत्यारे-अत्याचारियों का निर्भय हो दमन करें ! हमारा प्रत्येक पग इस महान सभ्यता-संस्कृति एवं विरासत के हित में हो ! हम पुनः अपना गौरवशाली अजिनाभ-खंड (भारत-बर्ष) प्राप्त कर राम-राज्य में रहें ! 
कायर एवं दुष्ट राजनेताओं को महान हिंदुत्व की महान राजनीति सिखा दें ,उनके द्वारा रचे चक्र-व्यूहों को नष्ट कर ,महान हिंदुत्व क्रांति का जग में सन्देश लिख दें ! 
एक और महाभारत के लिए पार्थसारथी , गीताशिक्षक भगवान श्रीकृष्ण के नेतृत्व में शंख-नाद कर 
रण-भेरि बजा ,महा संग्राम-बलिदान के लिए तत्पर रहें ! 
हे महादेव ! 
हमारी प्रत्येक श्वांस से हर-हर महादेव की विजय ध्वनि नभ में गूंजती चले ,हमारी नेत्र-दृष्टि जिधर-जिधर भी पड़े शत्रु समूह उधर-उधर भस्म होते चलें ! 
हे महाकाल ! 
हमारी कथनी-करनी शत्रुओं के लिए काल सदृश हो ! 
हे विश्वम्भर ! 
हम सदैव आपकी कृपा  से बाह्य एवं आतंरिक 
( राग-द्वेष-परपीडन-लोभ-तृष्णा-स्वार्थ-कायरता आदि) 
शत्रु-दोषों  से मुक्त रहें ! 
हे गोपेश्वर ! 
हमारे मन-तन-धन सर्वश्व श्रीश्यामा-श्याम के नाम हों !   
!राधे-राधे!!राधे-राधे!!राधे-राधे!!राधे-राधे!
!राधे-राधे!!राधे-राधे! 
!स्वीट राधिका राधे-राधे! 


कृपया अधिक जानकारी एवं श्री शंकर भगवान की कृपा प्राप्ति हेतु  के लिए निम्नांकित एड्रस लिंक पर क्लिक कर ब्लॉग "राधे-राधे"
को फोलो करें -

हे केदार-नाथ, हे शम्भू , हे शिव, हे जगदीश , हे औढर-दानी ,
हे त्रयम्वकेश्वर , हे पशु-पति नाथ , हे नागेश्वर, हे ममलेश्वर, 
हे घ्रिश्मेश्वर  , हे आशेश्वर, हे रामेश्वर, हे विश्वनाथ, हे महाकालेश्वर, 
हे विश्वेश्वर , हे ओंकारेश्वर, हे गोपेश्वर ,हे कामेश्वर, हे भूतेश्वर, 
हे अर्ध-नारीश्वर ,हे महादेव,हे गौरी-पति , हे पार्वती-पति, हे हर , 
हे वरेश्वर ,हे भूत-नाथ, हे रूद्र, हे भगवान शंकर करुणावतारम 
मैं रघुपति चरित गाथा निर्बाध रूप से लिखती रहूँ आपकी कृपा सहायता लाभ मुझे प्रति-पल मिलता रहे  !
कर्पूर गौरम करुणावतारं , संसार सारं भुजगेन्द्र हारं !  
सदा वसंतं हृदयार विन्दे , भवं भवानी सहितं नमामि !! 
भवानी शंकरौ वन्दे , श्रृद्धा विश्वास रुपिणौ !
याभ्यां विना न पश्च्यन्ति , सिद्धाः स्वान्तः स्थमीश्वरम !!  
गुरु पितु मातु महेश भवानी ! प्रनवउँ दीनबंधु दिन दानी !! 
सेवक स्वामी सखा सियपी के ! हित निरुपधि सब विधि तुलसी के !! 
वन्दौ बोध मयं नित्यं गुरुं शंकर रुपिणौ ! 
यमाश्रितो हि वक्रोपि चन्द्रः सर्वत्र वन्ध्यते !!  
कोऊ न संकर सम प्रिय मोरे !
शंकर सरिस न कोऊ प्रिय मोरें !
*** ॐ नम: शिवाय ***
नमामि शमीशान निर्वाण रूपं !
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं !!

Saturday, February 19, 2011

तीन लोक ते मथुरा न्यारी

आश्चर्य- मथुरा में एक mr. एवं miss . मथुरा  ,
के नाम से प्रतियोगिता आयोजन !
जिसके जजों द्वारा चयन करते समय बारम्बार खेद व्यक्त करना ,
कि प्रतियोगिता मथुरा में है ,
परन्तु , सब-अधिकांश प्रतिभागी वेस्टर्न प्रजेंटेसन दे रहे हैं !
उनको मथुरा शैली - मथुरा कल्चर का कोई भान नहीं !
मित्रो, यह बड़ा कडुवा सत्य है कि इस  -
"तीन लोक ते मथुरा न्यारी संस्कृति" में 
जोकि बड़े-बड़े आघातों-संकटों के उपरांत भी 
अपने स्वरुप से अविचिलित रही ,
पर आज पश्चिम की भोग प्रधान संस्कृति का आधिपत्य हो गया है !
जहाँ 'सरल-जीवन - उच्च-विचार' केन्द्रित थे 
वहां अधिकांश वर्ग में "दिखावटी-जीवन - ओछे-विचार" संकेंद्रित हैं ! जो संस्कृति दुष्ट तुर्क-मुग़ल आक्रान्ताओं के आक्रमण से नहीं डिगी, जिसको बिट्रिश परतंत्रता की जंजीरें नहीं बांधसकीं वो अपने ही जन-मानस के नैतिक-आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पतन से व्यग्र है !
सबसे पहले मेरा सभी माननीय प्रतियोगिता जजों-(चयन कर्ताओं जिन्हें हम टेलीविजन पर देख रहे हैं)  से अनुरोध है ( मेरा मानना है कि सभी जज-चयनकर्ता , ब्रज संस्कृति-धरोहर के संवाहक हैं, उनका ब्रज-वसुंधरा के प्रचार-प्रसार में अमूल्य योगदान रहा है एवं वर्त्तमान में भी वे इसी दिशा में संलग्न हैं और श्रीजी की कृपा से आगे भी ब्रजसेवा करेंगे  ) कि इस प्रतियोगिता का नाम mr. एवं miss. mathura  न रखकर , जोकि ब्रज-सांस्कृतिक रूप से अनुचित है , ब्रजधाम में सखी एवं ग्वाल-वाल होते हैं ! न कि पश्चिमी मि.,मिस. यदि प्रतियोगिता नाम ही अन्य संस्कृति का होगा तो कैसे प्रतिभागी अन्य संस्कृति को न दर्शायेंगे ! और भाइयो हमारे ब्रज में केवल नन्द-लाल लीलाधारी भगवान श्री कृष्ण ही पूर्ण पुरुष हैं (मि. हैं ) यहाँ किसी और को मि. कहना नितांत अनुचित है  !  कितना अच्छा हो यदि प्रतियोगिता नाम ग्वाल-वाल ब्रज मंडल एवं सखी-सहेली ब्रज मंडल हो जोकि सभी प्रकार से व्यापक द्रष्टिकोण लिए है ,एवं ब्रज-भूमि संस्कृति की संवाहक -पोषक है ! केवल मथुरा नाम रखना संकीर्ण है 

जोकि कंस के महोत्सव की ही याद दिलाता है !
राधे-राधे
जय श्री कृष्ण
जय ब्रज वसुंधरा