Saturday, March 19, 2011

होली आई है कन्हाई आजा खेलें बजाएं ढप-बांसुरी


स्वीटी राधिका जी ,
वृन्दावनचन्द्र की केलि रहीं चित-चोर !!
आयो हुल्लड़ फाग को सखि खेलें नन्दकिशोर !
सब सखियन ने आज तो मिलि घेरे रससिरमोर ! 
छोडो नहिं यशुमतिलाल को याहे दीजो रंग में बोर !
श्री कीरतितनया श्री राधिका कीजै कृपा की कोर !
कबहु वीते नहिं यह भोर !!


स्वीट राधिका राधे-राधे अहम् त्वां चरणं प्रपन्ना 



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