Saturday, February 19, 2011

तीन लोक ते मथुरा न्यारी

आश्चर्य- मथुरा में एक mr. एवं miss . मथुरा  ,
के नाम से प्रतियोगिता आयोजन !
जिसके जजों द्वारा चयन करते समय बारम्बार खेद व्यक्त करना ,
कि प्रतियोगिता मथुरा में है ,
परन्तु , सब-अधिकांश प्रतिभागी वेस्टर्न प्रजेंटेसन दे रहे हैं !
उनको मथुरा शैली - मथुरा कल्चर का कोई भान नहीं !
मित्रो, यह बड़ा कडुवा सत्य है कि इस  -
"तीन लोक ते मथुरा न्यारी संस्कृति" में 
जोकि बड़े-बड़े आघातों-संकटों के उपरांत भी 
अपने स्वरुप से अविचिलित रही ,
पर आज पश्चिम की भोग प्रधान संस्कृति का आधिपत्य हो गया है !
जहाँ 'सरल-जीवन - उच्च-विचार' केन्द्रित थे 
वहां अधिकांश वर्ग में "दिखावटी-जीवन - ओछे-विचार" संकेंद्रित हैं ! जो संस्कृति दुष्ट तुर्क-मुग़ल आक्रान्ताओं के आक्रमण से नहीं डिगी, जिसको बिट्रिश परतंत्रता की जंजीरें नहीं बांधसकीं वो अपने ही जन-मानस के नैतिक-आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पतन से व्यग्र है !
सबसे पहले मेरा सभी माननीय प्रतियोगिता जजों-(चयन कर्ताओं जिन्हें हम टेलीविजन पर देख रहे हैं)  से अनुरोध है ( मेरा मानना है कि सभी जज-चयनकर्ता , ब्रज संस्कृति-धरोहर के संवाहक हैं, उनका ब्रज-वसुंधरा के प्रचार-प्रसार में अमूल्य योगदान रहा है एवं वर्त्तमान में भी वे इसी दिशा में संलग्न हैं और श्रीजी की कृपा से आगे भी ब्रजसेवा करेंगे  ) कि इस प्रतियोगिता का नाम mr. एवं miss. mathura  न रखकर , जोकि ब्रज-सांस्कृतिक रूप से अनुचित है , ब्रजधाम में सखी एवं ग्वाल-वाल होते हैं ! न कि पश्चिमी मि.,मिस. यदि प्रतियोगिता नाम ही अन्य संस्कृति का होगा तो कैसे प्रतिभागी अन्य संस्कृति को न दर्शायेंगे ! और भाइयो हमारे ब्रज में केवल नन्द-लाल लीलाधारी भगवान श्री कृष्ण ही पूर्ण पुरुष हैं (मि. हैं ) यहाँ किसी और को मि. कहना नितांत अनुचित है  !  कितना अच्छा हो यदि प्रतियोगिता नाम ग्वाल-वाल ब्रज मंडल एवं सखी-सहेली ब्रज मंडल हो जोकि सभी प्रकार से व्यापक द्रष्टिकोण लिए है ,एवं ब्रज-भूमि संस्कृति की संवाहक -पोषक है ! केवल मथुरा नाम रखना संकीर्ण है 

जोकि कंस के महोत्सव की ही याद दिलाता है !
राधे-राधे
जय श्री कृष्ण
जय ब्रज वसुंधरा

3 comments:

  1. यहाँ पर, मैं किसी की आलोचना के नहीं लिख रही अपितु, अपनी ओर से अपने नगर-क्षेत्र में होने वाली एक गतिविधि के लिए विचार रख रही हूँ कि किस प्रकार इस सुन्दर प्रयास को सुन्दरतम, दिव्य एवं अतुलनीय बनाया जा सके ! राधे-राधे !

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  2. श्रीजी की कृपा-भक्ति के लिए निम्नांकित लिंक से क्लिक कर ब्लॉग से अभी जुड़ें/फोलो करें

    sweetieradhe.blogspot.com

    श्रीराधे चहुँ दिसि हा-हा कार !

    संकट सत्ता माया नाचे ,

    चारों ओर पुकार !!श्रीराधे ०!!

    छंद काव्य से छूट चले हैं ,

    रस फीके बेकार !!श्रीराधे ० !!

    आर्त-दीन से दुनिया रूठी ,

    लठ्ठ चले मक्कार !!श्रीराधे ० !!

    भयो दिखावो फैशन जग को ,

    बिके हाट-बाज़ार !!श्रीराधे ० !!

    पर उपदेश कुशल बहुतेरे ,

    सूझ नहीं आचार !!श्रीराधे ० !!

    नीति-नियम संयम सब भूले ,

    स्वार्थ बस लाचार !!श्रीराधे ० !!

    सदाचार के कोई न ग्राहक ,

    करे न उच्च विचार !!श्रीराधे ० !!

    तृष्णा-क्षुधा रोग सब उलझे ,

    सूझे न उपचार !!श्री राधे ० !!

    तज के लाज-शर्म बन वैठे,

    ज्ञान गढ़ें धिक्कार !!श्रीराधे ० !!

    'स्वीटी राधिका' शरण तिहारी,

    सुन लीजै ब्रषभानु दुलारी !

    करहु कृपा मेरी स्वामिनी प्यारी ,

    मिट जाएँ अत्याचार !!श्रीराधे ० !!

    कीरति कुंवरि लाडिली राधे ,

    तेरी जय-जय कार !!श्रीराधे ० !!

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  3. हे मातृभूमि ! हे माँ भारती ! देखो आपकी संतानें क्षुद्र स्वार्थों वश आपके ह्रदय पर कुठाराघात कर रहे हैं ! दुष्ट राज-नेताओं के माया जाल में आकर कहीं आरक्षण के नाम ,कहीं भाषा के नाम, कहीं क्षेत्रीयता के नाम ,कहीं ढोंग उपासनाओं के नाम संकीर्ण स्वार्थ सिद्धि के लिए , देश का -धर्म का सत्यानाश किया जा रहा है ! निश्चय ही हमारी राज-व्यवस्था की चूकें जो कांग्रेस पार्टी के एक छत्र कपट - राज्य से उत्पन्न हो कर व्याल की भांति बिष भरे दंशों से इस महान स्वतंत्रता को ग्रसने को आतुर हैं ये दुष्ट पार्टी अंग्रेजी शासन की भांति 'फूट डालो और राज्यकरो की कुनीति' से जनमानस को भ्रमित कर उनके वोटों का वंटवारा कर अपना राज्य निस्कनटित करती है ! और दुर्भाग्य से हमारा लालची जन-मानस अपने-अपने स्वार्थों के कारण विभक्त हो इस सांपिन कांग्रेश को पाल-पोष रहा है !ये कथित समाजवादी-साम्यवादी इसी कांग्रेस के छद्म रूप हैं जो समय-समय पर एक जुट हो कर सरकार बनाकर इस राष्ट्र की आत्मा इसकी गंगा-यमुनी सनातन संस्कृति को ग्रसने के कुचक्र संचालित करते रहते हैं ! वी.पी. सिंह जैसे
    खलनायक इसी कोंग्रेश की उपज हैं जो मृत प्राय मंडलआयोग जैसे वमों को पुनः जीवित कर इस राष्ट्र एवं निवासियों को आग में झोंक देते हैं ! इसी कांग्रेस के बूढ़े नाग अर्जुन सिंह जैसे अपने मरने के समय भी इस राष्ट्र की धमनियों में पुनः मंडल रूपी संयोजित बिष प्रवाहित कर राष्ट्र को मारने की तैयारी कर देते हैं ! मित्रो आरक्षण जहर है जिसके कारण देश प्रतिभाओं से वंचित हो जाता है एवं व्यर्थ के विवादों में उलझ राष्ट्रीय संकट में उलझ जाता है ,इससे भला किसी का भी नहीं होता मोटे-मोटे उच्चवर्गीय अपना हित साध लेते हैं, गरीब जन-मानस जिसे वास्तविक में कुछ लाभ अवश्य मिलना चाहिए सुविधाओं से वंचित रह जाता है ! अतः यदि कोई आरक्षण सुविधा हो भी तो जातीय आधार पर न होकर आर्थिक आधार पर हो ! इसी प्रकार से भाषाई-क्षेत्रीयता जैसी घटनाएँ राजनीतिक कुचालें हैं -मंडलआयोग गुर्जर आन्दोलन - जाट आन्दोलन ,मराठी आन्दोलन , ये सब जन-मानस को मरवाने के लिए हैं ये किसी के हित के लिए नहीं हैं !

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