स्वीटी राधिका जी ,
वृन्दावनचन्द्र की केलि रहीं चित-चोर !!
आयो हुल्लड़ फाग को सखि खेलें नन्दकिशोर !
सब सखियन ने आज तो मिलि घेरे रससिरमोर !
छोडो नहिं यशुमतिलाल को याहे दीजो रंग में बोर !
श्री कीरतितनया श्री राधिका कीजै कृपा की कोर !
कबहु वीते नहिं यह भोर !!
स्वीट राधिका राधे-राधे अहम् त्वां चरणं प्रपन्ना